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गुरुवार, 29 जून 2023

🌹सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा🌷


🌹सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा🌷

भाग-46👇🏻
भूल कर सारे शिकवे नेहा चलो साथ मेरे।
तुम्हारे विना हैं सूने नेहा दिन रात मेरे।।
मैं नेहा को ले जाऊँ भाबी गर आदेश आपका मिल जाए।
हमारी छोटी सी बगिया भाबी तुम्हारी कृपा से खिल जाए।।
बोलीं भाबी मैं तुम्हें आदेश नहीं दे सकती।
नेहा को ले जाओ आप मैं नहीं कह सकती।।
मैं नहीं कहती नेहा नहीं तुम्हारी है।
नेहा की रखबाली की मुझपे जिम्मेदारी है।।
नेहा के बाप ने सौंपा ये काम मुझे नेहा की रखबाली का।
पर प्रेम ने ये न सोंचा मैं तोड़ लाया फूल प्यार की डाली का।।
नेहा के बाप प्रेम ने तुम्हारे प्रेम के साथ की बेईमानी है भाई।।
भारत देश के.....
भाग-47👇🏻
सोंचा था आऊँगा नेहा को साथ कास लेके।
पर लौटना पड़ा मुझे अपना चेहरा उदास लेके।।
क्या नहीं मिलेगी नेहा सोंच घबरा गया।
जब कली मिली नहीं लौट भवँरा गया।।
निगाहों से नेहा ने सर्वेन्द्र से ये बात  कही।
भाबी की वजह से हमारी हो तो मुलाकात गई।।
अब जाओ घर लौट मैं मौका देख चली आऊँगी।
सइंया जी समझो मैं तेरी गली धोका दे चली आऊँगी।।
मौका-सौका लग गया तो शाम तक दौड़ चली आऊँगी।
जानू जान से जरूरी है हर काम तक छोड़ चली आऊँगी।।
तुम जाओ सर्वेन्द्र जी अब मुझे यहॉं से जाने की जुगत बनानी है भाई।।
भारत देश के.....
भाग-48👇🏻
लौट गया मैं अपनी नेहा का करने लगा इन्तजार।
न जाने किस समय मेरे घर आ जाए वहार।।
पहुँच गई नेहा घर सर्वेन्द्र के शाम के टाइम।
तोड़ के दिल पिता का किया एक और क्राइम।।
मौका देख नेहा जाने को संम्भल तत्काल गई।
न रुकी कहीं राहों में पहुँच तुरंत ससुराल गई।।
जा रुकी अपने घर अपने कमरे में घुस गई।
सर्वेन्द्र की सूरत देख-देख के नेहा हो खुश गई।।
न किसी ने शिकायत की नेहा से कोई सवाल किया।
घर बापसी कर के नेहा ने खुश सारा ससुराल किया।।
सबके चेहरे खिल गये कि लौट आई बहुरानी है भाई।।
भारत देश के.....
भाग-49👇🏻
ना रोका किसी ने दोनों को घर भेज सर्वेन्द्र की ननिहाल दिया।
पैसे देकर नेहा-सर्वेन्द्र को घर से बाहर तत्काल किया।।
फोन कर सर्वेन्द्र के पिता जी ने की सर्वेन्द्र के नाना से अपील।
उत्तर प्रदेश में गाँव देवपुर जिला बरेली आँवला है तहसील।।
दोनों ने दस दिन नाना के यहाँ काटे।
दुःख-सुख दोनों ने साथ में वहाँ बाँटें।।
दस दिन बाद दोनों लौट आए मुरादाबाद।
सारी शिकायतें खत्म हुईं न रहा कोई विवाद।।
सर्वेन्द्र बोलै नेहा से अब रहना है सम्भार के।
खुशी -खुशी अब रहने लगे ससथ में परिवार के।।
कोर्टमेरिज कहाँ की अब तुम्हें बतानी है भाई।।
भारत देश के......
भाग-50👇🏻
जहाँ की कोर्टमेरिज बो था बदायूँ जिला।
शादी कराने बाला बकील धोकेबाज मिला।।
कोर्टमेरिज के उसने लोकल पेपर दिए भाई।
ठगी कर पैसों की लोकल-ऑरिजिनल कर दिए भाई।।
लिख कर बयान नेहा के एक बात कही यारो।
हो गई मैरिज अब तुम्हारी है ये बात सही यारो।।
सही मानके कागजों को घर लौट आए।
देकर पैसे फिजूल खा हम चोट आए।।
जैसे होती है घोड़े की लात बुरी।
वैसे ही होती है बकील की वकालात बुरी।।
ये पैसों के चक्कर में बनाते झूठी कहानी हैं भाई।।
भाग-51👇🏻
अब मुरादाबाद का हाल बताऊँ।
जो प्रेम ने खेली चाल बताऊँ।।
कैसे हम दोनों को दूर किया बतलाऊँ मैं।
साथ न रहने को मजबूर किया जतलाऊँ मैं।।
एक साथ सब रहने लगे अपने घर में।
जैसे चाँद के साथ सितारे हों अंबर में।।
एक साँची बात बताऊँ मैं आपसे यारो।
नेहा कभी-कभी बातें करती थी अपने बाप से यारो।।
मायका था पास में ससुराल भी निकट थी।
तो एक न एक दिन लड़ाई होनी विकट थी।।
पर इतनी जल्दी हो जाएगी हमने न जानी है भाई।।
भारत देश के.....
भाग-52👇🏻
सर्वेन्द्र दूर काम पे एक गाँव जाता था।
पर नेहा को रहे दूर सर्वेन्द्र नहीं भाता था।।
यारो दूर काम करना सर्वेन्द्र की मजबूरी थी।
उस काम की बजह से दोनों में होने लगी दूरी थी।।
हमारी दूरी का सुनीता ने उठा मौका लिया।
जहर जहन में भर नेहा के मार चौका दिया।।
आकर घर सर्वेन्द्र के सुनीता ने जहर घोल दिया।
तेरे पापा मिलना चाहें नेहा से है बोल दिया।।
आजा पास मेरे बेटा तू सर्वेन्द्र को छोड़ दे।
सारे रिश्ते नाते बेटा तू सर्वेन्द्र से तोड़ दे।।
आकर सुनीता और प्रेम की बातों में नेहा कर गयी नादानी है भाई।।
भारत देश के......
भाग-53👇🏻
जब नेहा गई ससुराल छोड़ शायद शाम का बजा चार था।
छः जून दो हजार सोलह सन,दिन शायद सोमवार था।।
पहुँच गई घर बाप के तो कान प्रेम ने भर दिए।
पता नहीं क्या खिला नेहा को मेरे वारे न्यारे कर दिए।।
सर्वेन्द्र को पता लगा जब नेहा घर से गायब है।
नेहा के बारे में पूँछने को सर्वेन्द्र ने फोन किया तब है।।
सब से पहले सर्वेन्द्र ने ये लगाया【9927096289】नम्बर है।
पूँछा प्रेमसिंह से पापा जी मेरी नेहा किधर है।।
प्रेम सिंह ने सर्वेन्द्र की सिर्फ पहली कॉल उठाई थी।
पर नेहा के बारे में उन्होंने न मुझे कोई बात बताई थी।।
फिर न फोन उठाया प्रेम ने,मेरी आँखों में आया पानी है भाई।।
भारत देश के....
भाग-54👇🏻
रात भर फोन करता रहा मैं न मुझे नींद आई।
न निकला चाँद खुशियों का,न कोई मीठी ईद आई।।
साथ तारीक को पहुँचा मैं थाने रपट लिखाने को।
तभी फोन आया बिशाल का नेहा की खबर बताने को।।
रिक्शे पर कहीं जा रहे हैं तेरी पत्नी और ससुर भाई।
अभी हैं ईदगाह के पास विशाल ने मुझे के बात बताई।।
मेरी रिपोर्ट न दर्ज हुई लापता की यारो।
मेरे ससुर ने मेरे नाम पेF.I.R.लिखा दी यारो।।
लौट कर घर अपने मैं कमरे में रोने लगा।
पश्चाताप के आँसुओं से अपने गुनाह धोने लगा।।
लग रहा था मुझसे मेरी छिन गई जिंदगानी भाई।।
भारत देश के......
भाग-55👇🏻
ला कर पुलिस को प्रेम ने मुझे करा गिरफ्तार दिया।
धाराएँ लगा कर पुलिस ने मुझे भेज कारागार दिया।।
सात जून दो हजार सोलह दिन शायद मंगलवार था।
नेहा से जुदा हो कर मैं हो चुका लाचार था।।
आरोप लगाए झूठे-साँचे मेरे ऊपर यारो।
जीत गए अब के मुझसे मेरे ससुर यारो।।
दिल को पत्थर बना लिया मैंने सब सहन किया।
जो आरोप लगाए मुझपे मैंने सब गहन किया।।
सात तारीक को गिरफ्तार कर बना केस दिया।
आठ तारीक में मेडिकल करा कोर्ट में पेश किया।।
न्यायालय के न्यायाधीश ने जेल में मेरी कर दी रबानी है भाई।।
भारत देश के.......
भाग-56👇🏻
मित्रों तुम्हें मैं अपने जीवन का एक राज बताता हूँ।
सारी बातें साँच-साँच मैं यारो आज बताता हूँ।।
आठ मई को शादी की, छः जून में साथ छूट गया।
सह न सका जुदाई का झापड़,दिल मेरा टूट गया।।
प्यार मिला था नेहा का मुझे,भाग्य हमारे जागे थे।
इक्कतीस मई थी यारो,जब हम दोनों घर से भागे थे।।
छः जून को मिला ठिकाना,सात जून में गिरफ्तार हुआ।
एक जून की सुहाग रात थी,आठ जून में मुझ पे वार हुआ।।
भाई एक और बात तुम्हें बतलाऊँ गजब की।
दिन मंगलवार की भी कहानी है अजब सी।।
मंगल ने भी मेरे जीवन में की बड़ी करिश्तानी है भाई।।
भारत देश के......
भाग-57👇🏻
मेरे जीवन में भी कई चढ़ाव-उतार आए यारो।
जिताई जंग कभी मंगल ने,हम कभी हार आए यारो।।
कभी मंगल ने मंगल किया,कभी अमंगल कर दिया।
अब के मंगल ने छीन जिंदगी मुझसे छल कर दिया।।
अब है जेल में सर्वेन्द्र, वैरक पंद्रह में रहता है।
क्या मिलेगा इंसाफ मुझे रो-रो कर कहता है।।
हर वक्त बहाए बो सोंच-सोंच आँसू अपनी आँखों से।
वो पूँछ रहा हर वक्त बन्द जेल की यार सलाखों से।।
पूँछे बो जेल की इन ऊँची-ऊँची दीवारों से।
क्यों छिन गई हमारी रौनक खिलती बहारों से।।
न कोई जवाब मिले, सब की हो गई गूँगी वाणी है भाई।।
भारत देश के......
भाग-58👇🏻
नेहा मेरी जीवनसाथी मेरी जिंदगी है।
उसकी बेवकूफी पर मुझे होती शर्मिंदगी है।।
मुझसे मेरे प्राण माँग लेती,मैं दे देता उपहार में।
उसके एक इशारे पे,धड़ से सिर देता उतार मैं।।
वहकाबे में आकर उसने जिंदगी को अजब मोड़ दिया।
अपनी तो बर्बादी की,और साथ मेरा अब छोड़ दिया।।
खुशियाँ सारी छिनवा दीं छोड़ आँसू और गम दिए।
खुद के पैरों पर मार कुल्हाड़ी दे खुद को जख्म दिए।।
खुशियाँ मिल जाएगीं मुझे घर मेरा महबूब मिले।
नेहा नामी मरहम यारो बन जीवनसाथी मूब मिले।।
बस नेहा है मेरे जख्मों की दवा,नेहा ही जिन्दगानी है भाई।।
भारत देश के.....
भाग-60👇🏻
मैंने अपने सारे यारो बीते हालात लिखे हैं।
आँसूयों की सिहाई से समझो जज्बात लिखे हैं।।
बनी हुई है अब भी हम दोनों में दूरी यारो।
सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा रह गई अधूरी यारो।।
मेरी आप बीती मित्रो अगर आप सभी को आ पसन्द जाए।
तो ये सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा एक बन ग्रन्थ जाए।।
मैंने तो लिख दी आधी अधूरी मोहब्बत है।
अब मुझे आपके आशीर्वाद की जरूरत है।।
न जाने ईश्वर ने क्या लिखा है मेरे नशीब में।
जिसे जान से प्यारा था आज उसे बन गया हूँ रकीब मैं।।
हे ईश्वर गर सच्चा प्रेम हमारा है,तो हम फिर एक होंगे।
मेरे  इश्क की गवाही में गवाह हाजिर अनेक होंगे।।
निश्चय होगी जीत सच्चाई की विश्वास है।
मेरे ह्रदय में सिर्फ निहारिका तेरा ही बास है।।
अब नहीं आगे लिख सकता मैं टूट चुका हूँ।
अपने जीवन के हालातों से मैं रूठ चुका हूँ।।
सबको नमन अब मेरा,सबको जय भवानी भाई।।
भारत देश के......

बुधवार, 21 जून 2023

सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा


🌹सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा🌹
भाग - 32
दशेन्द्र सिंह ने एक हॉस्पिटल में नेहा को भर्ती करा दिया,
बुला डॉक्टर साहब को नेहा का इलाज शुरू करा दिया।
नब्ज देख नेहा की डॉक्टर ने नर्स बुलाई पल में।
चढ़ानी शुरू कर दी नेहा के दवा दाल बोतल में।।
बोतलों की दवा से नेहा को बहुत आराम मिला।
दवा के बदले में डॉक्टर को बहुत दाम मिला।।
पहुँच गए सर्वेन्द्र के मात-पिता फूफा मामा आधी रात में।
साथ मे लाए बो सभी रुपये बो भी भारी तादात में।।
देख के हालत नेहा की आँखो में सबकी भरआया पानी है भाई।।।
भारत देश के......

भाग -33👇🏻
दे कर पैसे सर्वेन्द्र के पिता लौट गए।
देख भाल हेतू वहाँ माँ को रोक गए।।
बोले नेहा को न कुछ होने दूँगा चाहें बिक जाय जमीदारी।
परेशान न हो बेटा अब ठीक हो जाएगी नेहा तुम्हारी।।
सिर पर हाथ सहला बोले बहू होना तू परेशान नहीं।
छीन जो मुझसे ले बीमारी ये बीमारी इतनी बलबान नहीं।।
खुश रहे बेटा न किसी बात का तू संकोच कर।
परेशान न हुआ कर बीमार है यह सोंच कर।।
अब मैं जा रहा हूँ बेटा नेहा यहॉं तेरी सास रहेगी।
ख्याल रखने को तेरा बेटा माँ तेरी तेरे पास रहेगी।।
बोले सर्वेन्द्र की माँ से नेहा को समय से दबा खिलानी है भाई।।.....

भाग-34👇🏻
जब हालत में हुआ सुधार नेहा को डॉक्टर ने छुट्टी देदी।
घर पर खाने को डॉक्टर ने नेहा को दवा और घुट्टी दे दी।।
दो चार दिनों के बाद नेहा की हालत नीक हुई।
खा कर दवा नेहा की अब तबियत ठीक हुई।।
नेहा की तबियत में जब हो सुधार गया।
रोजी रोटी कमाने को सर्वेन्द्र हो तैयार गया।।
बोला मम्मी को छोड़ आऊँ फिर करूँगा कुछ काम मैं।।
जा कर मुरादाबाद कर लाऊँ कुछ पैसों का इंतजाम मैं।।
मम्मी को छोड़ कर तुम पहले दूसरे कमरे का इन्तजाम करो।
मैं न रह सकती इस कमरे में रहने को कोई दूज ठाम करो।।
ठीक न रह सकती मैं इस कमरे में ये कमरा शैतानी है भाई।।.....

भाग-35👇🏻
आ कर मुरादाबाद से सर्वेन्द्र ने नेहा की बात पे अमल किया।
ढूँढ़ कर एक मकान सर्वेन्द्र ने कमर बदल दिया।।
ले लिया मकान एक किराये का मोहल्ला सराय झाँझन में।
आया पसन्द नेहा को भी कमरा छाया दोनों की आँखन में।।
जुलाई ने खिलाई दवाई,अब मस्त हो अगस्त गया।
सर्वेन्द्र भी अब अपने कामों में हो ब्यस्त गया।।
प्रेमपूर्वक रहने लगे दोनों अब उस मकान में।
लगा सारी परेशानी खत्म हुई,जान सी आई जान में।।
सोंच खुश रखूं नेहा को जितना कोई खुश नहीं जहान में।
खुशी मिलती थी सर्वेन्द्र को सिर्फ नेहा की मुस्कान में।।
रहे खुश सदा नेहा मेरी कुछ करनी कारस्तानी है भाई।.....

भाग-36👇🏻
जैसा सर्वेन्द्र सोंचा बैसा कुछ भी हुआ नहीं।
न जीता जंग जिंदगी की,जीता जीवन का जुआ नहीं।।
आ गया दोनों पर फिर वक्त बुरा।
खिल खिलाती खुशियों में घोंपने छुरा।।
वक्त ने उन दोनों के जीवन से ऐसा खेल खेला भाई।
फिर से झगड़ों के गड्ढे में दे दिया धकेला भाई।।
वक्त ने ला कर उसी मोड़ पर आ खड़ा किया।
नहीं चाहते थे आपस में लड़ना,है दोनों को लड़ा दिया।।
फिर से अनबन करा दी वक्त ने एक जरा सी बात में।
बोली नेहा नहीं रह सकते अब हम तुम्हारे साथ में।।
साथ दोनों प्रेमी जीवों के वक्त ने की बेईमानी है भाई।.....

भाग-37👇🏻
एक जरा सी लड़ाई में नेहा ने रिश्ता तोड़ दिया।
सक के सैलाब में फंस,राहों को नया मोड़ दिया।।
कर के सक हुआ खराब लक फूटी किस्मत दोनों की।
अब साथ न रह पाएँगे, टूटी हिम्मत दोनों की।।
कर के फोन नेहा ने अपने बाप को बुला लिया।
चाहां दिल से नेहा को नेहा ने आप को भुला दिया।।
भरोसा नहीं था सर्वेन्द्र को नेहा चली जाएगी।
खिलती बहारों की ऐसे सूख कली जाएगी।।
जैसे कोई छीन ले गया हो विरासत हमारी जंग में।
ले गए नेहा के पिता जी निहारिका हमारी संग में।।
मार के ठोकर चली गई बो,करदी नादानी है भाई।.....

भाग-38👇🏻
गया हुआ था सर्वेन्द्र बाहर किसी काम को।
नेहा का अता पता नहीं घर आया जब शाम को।।
पड़ोसियों ने उसे बताया कि नेहा तेरी भाग गई।
कैसी पत्नि थी तेरी ये जो दे तुझे राग गई।।
जा रही हूँ संग बाप के,क्या तुझे ये बात बताई है।
पति के पीछे चली गई,कैसी बदजात लुगाई है।।
बोले पड़ोसी गम न कर,सर्वेन्द्र भाग्य तेरा फूट गया।
मनाले भगबान को अपने,भगबान तेरा है रूठ गया।।
बन के हम सफर,तुझे छोड़ के सफर में।
धोका दे गई नेहा,तुझे आधी डगर में।।
दिल तोड़ गई सर्वेन्द्र का बो दिलबर जानी है भाई।.....

भाग-39👇🏻
नेहा के पिता जी नेहा को ले मुरादाबाद आते हैं।
सरस्वती विहार में घर मित्र के नेहा को छोड़ जाते हैं।।
नेहा रहेगी घर तुम्हारे ठीक से तुम ख्याल रखना।
चली न जाए धोका देकर ध्यान से देखभाल रखना।।
इधर रपट लिखा दी सर्वेन्द्र ने जा सिकन्द्राबाद थाने में।
मेरे ससुर का हाथ है साहब मेरी पत्नी को भगाने में।।
SSPऔर DMसे जा लगाई गुहार।
लिख लो रपट मेरी,नेहा लापता है सरकार।।
Dm चन्द्रकला जी ने अर्जी पे मोहर की लगा दी निशानी है भाई।.....

भाग -40👇🏻
बोली Dm(Ssp,को देना,मैंने दी मोहर लगाई है।
और दिखा देना मेरी पर्ची ये मिल जाएगी तेरी लुगाई है।।
सर्वेन्द्र ने जा ssp से बताई बात सारी है।
Dm के प्रेशर से भैया की खोजन की तैयारी है।।
Fir लिखा के सर्वेन्द्र आया ताऊ के घर पर भाई।
कुछ समय बाद नेहा ने फोन दिया कर इधर भाई।।
सुनी आबाज जब नेहा की आँख में आँसू आ गए।
जैसे भारी बारिश करने को बादल धाँसू छा गए।।
बोला सर्वेन्द्र तू कहाँ पर है जान मेरी।
तेरे विन निकलती जाए नेहा जान मेरी।।
तुम से बिछड़ के नेहा मेरी हर धड़कन तड़पानी है भाई।.....

भाग-41👇🏻
तुम से बिछड़ी तो दर्द हुआ दिल में आ याद गई।
बोली नेहा संग बाप के मैं आ मुरादाबाद गई।।
तुम कहाँ पर हो आ जाओ पिया जी पास में।
दूर हो कर हूँ तुम से,पिया जी उदास मैं।।
ताऊ जी के घर पर हूँ मैं सिकन्द्राबाद में।
पहुँच जाऊँगा सुबह मैं मुरादाबाद में।।
मैं सुबह करूँगा तुम से नेहा अब बात।
जहाँ पर है तू नेहा करूँगा तुझसे मुलाकात।।
बोला ताऊ से नेहा का पता अब चल गया।
साथ लेकर नेहा को प्रेमसिंह दे दखल गया।।
ले गया साथ मे नेहा को बो अभिमानी है भाई।.....

भाग-42👇🏻
चल दिया सर्वेन्द्र लेकर टिकट स्टेशन से।
दिल से दुखी था सर्वेन्द्र,नेहा की टेन्शन से।।
जा रहा था सोंचता ये सर्वेन्द्र सफर में ।
क्यों छोड़ गई नेहा साथ मेरा अधवर में।।
पूछुंगा जाकर क्यों दिल तोड़ा मेरा तूने।
गलती क्या थी जो साथ छोड़ा मेरा तूने।।
बता कौन सा गुनाह किया मैंने जो तूने जख्म दिया।
एक जरा सी बात पे नेहा रिश्ता तूने खत्म किया।।
रात भर तो सफर किया पहुँचा घर सुबह।
है मेरी नेहा किधर यारो लगा खोजने वह।।
जब तक नेहा से मिला नहीं  न पिया पानी है भाई।.....

भाग-43👇🏻
फिर नेहा का फोन आया आ जाओ सरस्वती विहार में।
लोकवाणी केंद्र के सामने बाली गली में कर रही इंतजार मैं।।
जहाँ हूँ मैं वो सरोजा ऑन्टी का मकान है।
लोकवाणी केंद्र के सामने सीधे हाथ पे तीसरा मकान है।।
नेहा के बताए पते पे है अब सर्वेन्द्र पहुँच गया।
डर किसी का किया नहीं,बो आशिक बेसंकोच गया।।
देख के सूरत अपनी नेहा की सर्वेन्द्र है रोने लगा।
पटकी सी कहा गिरा जमीं पे सुधबुध बो खोने लगा।।
देख के हालत नेहा भी है रोने लगी।
उठा बाहों में सर्वेन्द्र को मोहने लगी।।
अपनी करनी पे आज नेहा पछतानी है भाई।.....

भाग-44👇🏻
नेहा समझो हालात तुम मेरे।
निहारिका चलो साथ तुम मेरे।।
भुला के सारे गिले शिकवे तुम मुझे माफ करो।
गर दिल में है कोई बात तो कह के दिल साफ करो।।
कभी न तुम्हें डाँटूँगा जब भी शिकायत होगी।
बोली मकान मालकिन किसी ने न की ऐसी मोहब्बत होगी।।
नेहा ये लड़का तुझे करता है बहुत प्यार।
नेहा अब तो तू दिल से गुस्सा दे निकार।।
कभी न तुझे दुखी रखेगा देगा सारी शोहरत।
क्योंकि तुझे चाहता है ये तुझे करता है मोहब्बत।।
तू बन गई नेहा सर्वेन्द्र की जिंदगानी है भाई।.....

भाग-45👇🏻
बोली नेहा उस औरत से सुनो भाभी।
जरा-जरा सी बात पे ये हो जाते हैं हाबी।।
करते नहीं कभी मेरे मनकी जम के डाँट लगाते हैं।
कुछ भी सोंचू करने को तो उसकी बाट लगाते हैं।।
बोला सर्वेन्द्र वादा करता हूँ तुझसे ओ गोरी।
हर बात मानूगा तेरी मत करना मुँहजोरी।।
मत कर शिकायत मेरी अपनी तू बड़ाई री।
तेरी ही मुँहजोरी नेहा कराती है अपनी लड़ाई री।।
तू जो मुँहजोरी न करे तो न कोई बात बने।
जुदा न होना पड़े एकदूजे से ऐसे न कोई हालात बने।।
जब भी समझाऊँ करती आनाकानी है भाई।.....

भाग-46👇🏻

मंगलवार, 22 दिसंबर 2020

Hi


【 मधुशाला-शराब 】

🤔 बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद, खुली रहेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है, सोच रहा ऊपरवाला ||
🤔
नशा मुक्त हो जाता भारत, तो कैसे चलती मधुशाला | व्यवसाय रूका है उन गरीबों का, जो नोट की जपते थे माला ||

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 🤔

नहीं मिल रहा राशन पानी, मगर मिलेगी मधुशाला | भाड़ में जाए जनता बेचारी, दर्द में है पीने वाला||
 🤔
आपत्ति नहीं जताओ कोई, खुलने दो ये मधुशाला | कोरोना मुक्त होगा भारत, जब ठेके पर चलेंगें त्रिशूल और भाला ||
 🤔
मेरी विनती है तुम सब से, गर जाए कोई मधुशाला | वापिस ना आने दो उसको, तुम बंद करो घर का ताला ||
 🤔
दुनिया है बरबाद, और इन्हें चाहिए मधुशाला |
घर में ही रह लो..पागल लोगों, ना बचा पाएगा वो रखवाला ||
 🤔
मंदिर मस्जिद बंद पड़े हैं, मगर खुलेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है, सोच रहा ऊपर वाला ||
 🤔
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🤔
नहीं मिल रहा राशन पानी,
मगर मिलेगी मधुशाला |
भाड़ में जाए जनता बेचारी,
दर्द में है पीने वाला ||
🤔
आपत्ति नहीं जताओ कोई,
खुलने दो ये मधुशाला |
कोरोना मुक्त होगा भारत,
🤔
बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद,
खुली रहेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है,
सोच रहा ऊपरवाला ||
🤔
नशा मुक्त हो जाता भारत,
तो कैसे चलती मधुशाला |
व्यवसाय रूका है उन गरीबों का,
जो नोट की जपते थे माला ||

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बुधवार, 13 मई 2020

मधुशाला - शराब


  • Hi


【 मधुशाला-शराब 】

🤔 बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद, खुली रहेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है, सोच रहा ऊपरवाला ||
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नशा मुक्त हो जाता भारत, तो कैसे चलती मधुशाला | व्यवसाय रूका है उन गरीबों का, जो नोट की जपते थे माला ||

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नहीं मिल रहा राशन पानी, मगर मिलेगी मधुशाला | भाड़ में जाए जनता बेचारी, दर्द में है पीने वाला||
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आपत्ति नहीं जताओ कोई, खुलने दो ये मधुशाला | कोरोना मुक्त होगा भारत, जब ठेके पर चलेंगें त्रिशूल और भाला ||
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मेरी विनती है तुम सब से, गर जाए कोई मधुशाला | वापिस ना आने दो उसको, तुम बंद करो घर का ताला ||
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दुनिया है बरबाद, और इन्हें चाहिए मधुशाला |
घर में ही रह लो..पागल लोगों, ना बचा पाएगा वो रखवाला ||
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मंदिर मस्जिद बंद पड़े हैं, मगर खुलेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है, सोच रहा ऊपर वाला ||
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नहीं मिल रहा राशन पानी,
मगर मिलेगी मधुशाला |
भाड़ में जाए जनता बेचारी,
दर्द में है पीने वाला ||
🤔
आपत्ति नहीं जताओ कोई,
खुलने दो ये मधुशाला |
कोरोना मुक्त होगा भारत,
🤔
बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद,
खुली रहेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है,
सोच रहा ऊपरवाला ||
🤔
नशा मुक्त हो जाता भारत,
तो कैसे चलती मधुशाला |
व्यवसाय रूका है उन गरीबों का,
जो नोट की जपते थे माला ||


Hi

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शनिवार, 2 मई 2020



🙏🏻विनती🙏🏻अपील🙏🏻
सम्मान जहाँ की सभ्यता है, ऐसा हमारा भारत है।
एकदूजे की करें सहायता, हमारे भारत की आदत है।।
👉🏻 आंखें नम हैं, सब को गम है, ये बीमारी सच में यम है,
बन्द किए शहर-टाउन है,हर जगह लॉकडाउन इसको नहीं रह है,,
देखो तो मेरे भारत की, इसने कैसी हालत है।
👉🏻लॉकडाउन के चक्कर में, सब खाना-खजाना खत्म हुआ,
अब भूखे मरें या बीमारी से,सोंचो ये कैसा सितम हुआ,,
यही सोंच सब निकले बाहर,अब मिले नहीं कोई राहत है।
👉🏻अब सहन न होता भूखा पेट है,बाहर देखो लॉक गेट है,
चौराहों पर गई पुलिस बैठ है,गलियों में गए तो होती कोरोना से भेंट है,,
भूख की खातिर कर्फ्यू तोड़ा,उठा लिया हाथ डंडा रोड़ा, आई ये कैसी आफत है।
👉🏻भूख पर यारो किसकी चलती,भीड़ ने देखो कर दी गलती,बाहर निकल आए घर से,
मौत के मुख में मौत के डर से,आ गए जाने लोग किधर से,मरने कोरोना वायरस से,,
करूँ मैं विनती, करो न गलती, ऐसा करने से नहीं मिलता कोई महारथ है।
👉🏻हाथ जोड़ मैं विनय करूँ, सब लोगों से,
मत मारो उन्हें ओ यारो,जो बचा रहे हमें रोगों से,,
आओ सब लॉकडाउन को सफल करें हम, मेरी बिनती और इबादत है,
👉🏻देखो तो बो भटक रहे हैं हमारी खातिर, मौत के मुख में,
तभी तो यारो घर में सुरक्षित बैठे हैं हम सुख से,,
सम्मान है【सर्वेन्द्र सिंह】मेरा इनको,उनको मेरी शहादत है।
👉🏻अपील यही है मेरी, हर सरकारी अधिकारी से,
भूख से भी बच लो,जैसे बचा रहे हमें महामारी से,,
ज्यादा कुछ नहीं लिख मैं, मुझ में बची नहीं अब ताकत है।
लेखक
         सर्वेन्द्र सिंह सनातनी
           9927099136
    मुरादाबाद-उत्तर प्रदेश-भारत
   
                शायरी
मौत जब आएगी होगी खड़ी जब सामने,
आशा होगी तब भी कोई आ जाए थामने,
आँखे खुलीं होंगी,हर ओर अँधेरा होगा,,
नजरें खोजेगीं अपनों को न कोई तेरा होगा,,
चाहत होगी जीने की,मगर जिंदगी खफा होगी,
रहेगा याद तू सबको यहाँ,तेरी वन्दगी वफा होगी,,

बुधवार, 8 जनवरी 2020

🇮🇳देश भक्ति गीत🇮🇳 👬एकता गीत👬 भूखों को तुम भोजन बाँटो,

Hi
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🇮🇳देश भक्ति गीत🇮🇳
  👬एकता गीत👬
भूखों को तुम भोजन बाँटो,
 कपड़े बाँटो नंगों को।
मेरा तिरँगा बोल रहा है,
मत बाँटो मेरे रंगों को ।।
            1
बाँट दिया तुमने मुझको,
     काटी दोनों भुजाएँ,
सिर भी काट दिया मेरा,
फैला-फैला अफवाहें,,
प्यारा भारत बोल रहा है,
मेरे मत बाँटो अंगों को।।
           2
पैसे का पावर दिखा रहा,
कोई कुर्सी की तानाशाही,
  नेतागर्दी के चक्कर में,
भटक रहा हर हमराही,,
भेदभाव की बन्दूक बनाके,
करवाते हैं ये दंगों को ।।
             3
जातिवाद की जंजीर बनाके,
हम सबको है दूर किया,
आपस में ही लड़-मरने को,
जिसने हमें है मजबूर किया,,
अब पहचानों उनके चहरे,
तुम उनके काटो भुजंगो को।।
             4
माँ भारत के बेटे हम सब,
भाई खुद को पहचानों,
जो जहर पिलाए जातिवाद का,
उसको दुश्मन अपना मानों,,
एकजुट होने की जंग छेड़ दो,
जातिवाद के जो हैं पुजारी,
 पीटो उन दबंगों को।।
              5
आपस में न झगड़ेंगे हम,
भाई हम सब ये शपथ उठाते हैं,
एकता की एक चेन बनाके,
जन-जन अलख जगाते हैं,,
गर शान बड़ानी है भारत की,
तो खत्म करो इन जंगों को।।
            6
जिस बगिया के फूल हैं हम सब,
वो बगिया हमारी माँ भारत है,
लाल-हरे में मत बँट ने दो,
मेरी विनती और ईबादत है,,
देश भक्त बनो-शःशक्त बनो,
'सर्वेन्द्र,तुम महकादो इन रंगों को।।
📲9⃣9⃣2⃣7⃣0⃣9⃣9⃣1⃣3⃣6⃣
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
लेखक-
          सर्वेन्द्र सिंह सनातनी

🇮🇳👬नारा👬🇮🇳
हो जाओ एक दिखा दो एकता की ताकत।
कहो 'सर्वेन्द्र,भारतवासी हैं हम हमारा है भारत।।

तिरंगा बोल रहा है,
लहू भारत का खौल रहा है।
कर देंगे विश्वविजयी भारत,
हर भारतीय कर कौल रहा है।।
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SARVENDRA SINGH
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मंगलवार, 10 सितंबर 2019

माँ तेरे आंचल में मैंनेबचपन संभाला है

Hi

    माँ तेरे आंचल में मैंने
बचपन संभाला है
करूंगा नाम तेरा माँ
एक दिन सारे ज़माने में
ख़ुशी होगी तुझे भी माँ
यही गाथा सुनाने में
किया है नाम रौशन
लाल ने मेरा सारे ज़माने में
सही पीड़ा थी जितनी माँ
तूने मुझे धरती पर लाने में
मुझे सूखे में सुलाया
स्वयं गीले में सोई थी
रोते हुये जब भी मुझे देखा है मेरी माँ
तेरे आंचल में मैंने लेटे भी देखा है मेरी माँ
कि मुझसे ज्यादा तू भी तो रोई थी
बहे थे आँख से आंसू जो माँ के
उनको याद तुम कर लो
कभी न दिल दुखाना माँ बाप का ऐ दोस्तों
मिलेंगी दुआएं इतनी कि उनसे झोलियां भर लो |