🌹सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा🌷
भाग-46👇🏻
भूल कर सारे शिकवे नेहा चलो साथ मेरे।
तुम्हारे विना हैं सूने नेहा दिन रात मेरे।।
मैं नेहा को ले जाऊँ भाबी गर आदेश आपका मिल जाए।
हमारी छोटी सी बगिया भाबी तुम्हारी कृपा से खिल जाए।।
बोलीं भाबी मैं तुम्हें आदेश नहीं दे सकती।
नेहा को ले जाओ आप मैं नहीं कह सकती।।
मैं नहीं कहती नेहा नहीं तुम्हारी है।
नेहा की रखबाली की मुझपे जिम्मेदारी है।।
नेहा के बाप ने सौंपा ये काम मुझे नेहा की रखबाली का।
पर प्रेम ने ये न सोंचा मैं तोड़ लाया फूल प्यार की डाली का।।
नेहा के बाप प्रेम ने तुम्हारे प्रेम के साथ की बेईमानी है भाई।।
भारत देश के.....
भाग-47👇🏻
सोंचा था आऊँगा नेहा को साथ कास लेके।
पर लौटना पड़ा मुझे अपना चेहरा उदास लेके।।
क्या नहीं मिलेगी नेहा सोंच घबरा गया।
जब कली मिली नहीं लौट भवँरा गया।।
निगाहों से नेहा ने सर्वेन्द्र से ये बात कही।
भाबी की वजह से हमारी हो तो मुलाकात गई।।
अब जाओ घर लौट मैं मौका देख चली आऊँगी।
सइंया जी समझो मैं तेरी गली धोका दे चली आऊँगी।।
मौका-सौका लग गया तो शाम तक दौड़ चली आऊँगी।
जानू जान से जरूरी है हर काम तक छोड़ चली आऊँगी।।
तुम जाओ सर्वेन्द्र जी अब मुझे यहॉं से जाने की जुगत बनानी है भाई।।
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भाग-48👇🏻
लौट गया मैं अपनी नेहा का करने लगा इन्तजार।
न जाने किस समय मेरे घर आ जाए वहार।।
पहुँच गई नेहा घर सर्वेन्द्र के शाम के टाइम।
तोड़ के दिल पिता का किया एक और क्राइम।।
मौका देख नेहा जाने को संम्भल तत्काल गई।
न रुकी कहीं राहों में पहुँच तुरंत ससुराल गई।।
जा रुकी अपने घर अपने कमरे में घुस गई।
सर्वेन्द्र की सूरत देख-देख के नेहा हो खुश गई।।
न किसी ने शिकायत की नेहा से कोई सवाल किया।
घर बापसी कर के नेहा ने खुश सारा ससुराल किया।।
सबके चेहरे खिल गये कि लौट आई बहुरानी है भाई।।
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भाग-49👇🏻
ना रोका किसी ने दोनों को घर भेज सर्वेन्द्र की ननिहाल दिया।
पैसे देकर नेहा-सर्वेन्द्र को घर से बाहर तत्काल किया।।
फोन कर सर्वेन्द्र के पिता जी ने की सर्वेन्द्र के नाना से अपील।
उत्तर प्रदेश में गाँव देवपुर जिला बरेली आँवला है तहसील।।
दोनों ने दस दिन नाना के यहाँ काटे।
दुःख-सुख दोनों ने साथ में वहाँ बाँटें।।
दस दिन बाद दोनों लौट आए मुरादाबाद।
सारी शिकायतें खत्म हुईं न रहा कोई विवाद।।
सर्वेन्द्र बोलै नेहा से अब रहना है सम्भार के।
खुशी -खुशी अब रहने लगे ससथ में परिवार के।।
कोर्टमेरिज कहाँ की अब तुम्हें बतानी है भाई।।
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भाग-50👇🏻
जहाँ की कोर्टमेरिज बो था बदायूँ जिला।
शादी कराने बाला बकील धोकेबाज मिला।।
कोर्टमेरिज के उसने लोकल पेपर दिए भाई।
ठगी कर पैसों की लोकल-ऑरिजिनल कर दिए भाई।।
लिख कर बयान नेहा के एक बात कही यारो।
हो गई मैरिज अब तुम्हारी है ये बात सही यारो।।
सही मानके कागजों को घर लौट आए।
देकर पैसे फिजूल खा हम चोट आए।।
जैसे होती है घोड़े की लात बुरी।
वैसे ही होती है बकील की वकालात बुरी।।
ये पैसों के चक्कर में बनाते झूठी कहानी हैं भाई।।
भाग-51👇🏻
अब मुरादाबाद का हाल बताऊँ।
जो प्रेम ने खेली चाल बताऊँ।।
कैसे हम दोनों को दूर किया बतलाऊँ मैं।
साथ न रहने को मजबूर किया जतलाऊँ मैं।।
एक साथ सब रहने लगे अपने घर में।
जैसे चाँद के साथ सितारे हों अंबर में।।
एक साँची बात बताऊँ मैं आपसे यारो।
नेहा कभी-कभी बातें करती थी अपने बाप से यारो।।
मायका था पास में ससुराल भी निकट थी।
तो एक न एक दिन लड़ाई होनी विकट थी।।
पर इतनी जल्दी हो जाएगी हमने न जानी है भाई।।
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भाग-52👇🏻
सर्वेन्द्र दूर काम पे एक गाँव जाता था।
पर नेहा को रहे दूर सर्वेन्द्र नहीं भाता था।।
यारो दूर काम करना सर्वेन्द्र की मजबूरी थी।
उस काम की बजह से दोनों में होने लगी दूरी थी।।
हमारी दूरी का सुनीता ने उठा मौका लिया।
जहर जहन में भर नेहा के मार चौका दिया।।
आकर घर सर्वेन्द्र के सुनीता ने जहर घोल दिया।
तेरे पापा मिलना चाहें नेहा से है बोल दिया।।
आजा पास मेरे बेटा तू सर्वेन्द्र को छोड़ दे।
सारे रिश्ते नाते बेटा तू सर्वेन्द्र से तोड़ दे।।
आकर सुनीता और प्रेम की बातों में नेहा कर गयी नादानी है भाई।।
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भाग-53👇🏻
जब नेहा गई ससुराल छोड़ शायद शाम का बजा चार था।
छः जून दो हजार सोलह सन,दिन शायद सोमवार था।।
पहुँच गई घर बाप के तो कान प्रेम ने भर दिए।
पता नहीं क्या खिला नेहा को मेरे वारे न्यारे कर दिए।।
सर्वेन्द्र को पता लगा जब नेहा घर से गायब है।
नेहा के बारे में पूँछने को सर्वेन्द्र ने फोन किया तब है।।
सब से पहले सर्वेन्द्र ने ये लगाया【9927096289】नम्बर है।
पूँछा प्रेमसिंह से पापा जी मेरी नेहा किधर है।।
प्रेम सिंह ने सर्वेन्द्र की सिर्फ पहली कॉल उठाई थी।
पर नेहा के बारे में उन्होंने न मुझे कोई बात बताई थी।।
फिर न फोन उठाया प्रेम ने,मेरी आँखों में आया पानी है भाई।।
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भाग-54👇🏻
रात भर फोन करता रहा मैं न मुझे नींद आई।
न निकला चाँद खुशियों का,न कोई मीठी ईद आई।।
साथ तारीक को पहुँचा मैं थाने रपट लिखाने को।
तभी फोन आया बिशाल का नेहा की खबर बताने को।।
रिक्शे पर कहीं जा रहे हैं तेरी पत्नी और ससुर भाई।
अभी हैं ईदगाह के पास विशाल ने मुझे के बात बताई।।
मेरी रिपोर्ट न दर्ज हुई लापता की यारो।
मेरे ससुर ने मेरे नाम पेF.I.R.लिखा दी यारो।।
लौट कर घर अपने मैं कमरे में रोने लगा।
पश्चाताप के आँसुओं से अपने गुनाह धोने लगा।।
लग रहा था मुझसे मेरी छिन गई जिंदगानी भाई।।
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भाग-55👇🏻
ला कर पुलिस को प्रेम ने मुझे करा गिरफ्तार दिया।
धाराएँ लगा कर पुलिस ने मुझे भेज कारागार दिया।।
सात जून दो हजार सोलह दिन शायद मंगलवार था।
नेहा से जुदा हो कर मैं हो चुका लाचार था।।
आरोप लगाए झूठे-साँचे मेरे ऊपर यारो।
जीत गए अब के मुझसे मेरे ससुर यारो।।
दिल को पत्थर बना लिया मैंने सब सहन किया।
जो आरोप लगाए मुझपे मैंने सब गहन किया।।
सात तारीक को गिरफ्तार कर बना केस दिया।
आठ तारीक में मेडिकल करा कोर्ट में पेश किया।।
न्यायालय के न्यायाधीश ने जेल में मेरी कर दी रबानी है भाई।।
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भाग-56👇🏻
मित्रों तुम्हें मैं अपने जीवन का एक राज बताता हूँ।
सारी बातें साँच-साँच मैं यारो आज बताता हूँ।।
आठ मई को शादी की, छः जून में साथ छूट गया।
सह न सका जुदाई का झापड़,दिल मेरा टूट गया।।
प्यार मिला था नेहा का मुझे,भाग्य हमारे जागे थे।
इक्कतीस मई थी यारो,जब हम दोनों घर से भागे थे।।
छः जून को मिला ठिकाना,सात जून में गिरफ्तार हुआ।
एक जून की सुहाग रात थी,आठ जून में मुझ पे वार हुआ।।
भाई एक और बात तुम्हें बतलाऊँ गजब की।
दिन मंगलवार की भी कहानी है अजब सी।।
मंगल ने भी मेरे जीवन में की बड़ी करिश्तानी है भाई।।
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भाग-57👇🏻
मेरे जीवन में भी कई चढ़ाव-उतार आए यारो।
जिताई जंग कभी मंगल ने,हम कभी हार आए यारो।।
कभी मंगल ने मंगल किया,कभी अमंगल कर दिया।
अब के मंगल ने छीन जिंदगी मुझसे छल कर दिया।।
अब है जेल में सर्वेन्द्र, वैरक पंद्रह में रहता है।
क्या मिलेगा इंसाफ मुझे रो-रो कर कहता है।।
हर वक्त बहाए बो सोंच-सोंच आँसू अपनी आँखों से।
वो पूँछ रहा हर वक्त बन्द जेल की यार सलाखों से।।
पूँछे बो जेल की इन ऊँची-ऊँची दीवारों से।
क्यों छिन गई हमारी रौनक खिलती बहारों से।।
न कोई जवाब मिले, सब की हो गई गूँगी वाणी है भाई।।
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भाग-58👇🏻
नेहा मेरी जीवनसाथी मेरी जिंदगी है।
उसकी बेवकूफी पर मुझे होती शर्मिंदगी है।।
मुझसे मेरे प्राण माँग लेती,मैं दे देता उपहार में।
उसके एक इशारे पे,धड़ से सिर देता उतार मैं।।
वहकाबे में आकर उसने जिंदगी को अजब मोड़ दिया।
अपनी तो बर्बादी की,और साथ मेरा अब छोड़ दिया।।
खुशियाँ सारी छिनवा दीं छोड़ आँसू और गम दिए।
खुद के पैरों पर मार कुल्हाड़ी दे खुद को जख्म दिए।।
खुशियाँ मिल जाएगीं मुझे घर मेरा महबूब मिले।
नेहा नामी मरहम यारो बन जीवनसाथी मूब मिले।।
बस नेहा है मेरे जख्मों की दवा,नेहा ही जिन्दगानी है भाई।।
भारत देश के.....
भाग-60👇🏻
मैंने अपने सारे यारो बीते हालात लिखे हैं।
आँसूयों की सिहाई से समझो जज्बात लिखे हैं।।
बनी हुई है अब भी हम दोनों में दूरी यारो।
सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा रह गई अधूरी यारो।।
मेरी आप बीती मित्रो अगर आप सभी को आ पसन्द जाए।
तो ये सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा एक बन ग्रन्थ जाए।।
मैंने तो लिख दी आधी अधूरी मोहब्बत है।
अब मुझे आपके आशीर्वाद की जरूरत है।।
न जाने ईश्वर ने क्या लिखा है मेरे नशीब में।
जिसे जान से प्यारा था आज उसे बन गया हूँ रकीब मैं।।
हे ईश्वर गर सच्चा प्रेम हमारा है,तो हम फिर एक होंगे।
मेरे इश्क की गवाही में गवाह हाजिर अनेक होंगे।।
निश्चय होगी जीत सच्चाई की विश्वास है।
मेरे ह्रदय में सिर्फ निहारिका तेरा ही बास है।।
अब नहीं आगे लिख सकता मैं टूट चुका हूँ।
अपने जीवन के हालातों से मैं रूठ चुका हूँ।।
सबको नमन अब मेरा,सबको जय भवानी भाई।।
भारत देश के......